भयानकता वनों की
सूनापन सेहरा का
बेचैनी समुन्दर की
उदासी मौसमों की
बेनियाज़ी पर्वतों की
क्या नाम दूँ तुझको?
कभी ऊपर उठाती है
कभी नीचे गिराती है
कभी हर रास्ता परिचित
कभी हर राह अनजानी
मेरी मंज़िल अगर तू है
तो ले ऐ ज़िन्दगी
मैं बैठता हूँ
हारकर, थककर।
सूनापन सेहरा का
बेचैनी समुन्दर की
उदासी मौसमों की
बेनियाज़ी पर्वतों की
क्या नाम दूँ तुझको?
कभी ऊपर उठाती है
कभी नीचे गिराती है
कभी हर रास्ता परिचित
कभी हर राह अनजानी
मेरी मंज़िल अगर तू है
तो ले ऐ ज़िन्दगी
मैं बैठता हूँ
हारकर, थककर।
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