Wednesday, February 5, 2014

माध्यम


डूबते सूरज को तू भी तो देखता होगा
गर मैं तुझे न देख सकूँ तो क्या,
यह सूरज तो हम दोनों को एक साथ देखता होगा।
आँखों से झाँक कर दिल के हालात देखता होगा,
मन में छिपि छोटी-सी इक कायनात देखता होगा।
इसी तरह से चन्द्रमा रात देखता होगा,
होंठों तक जो न आई,
दिल पर लिखी बात देखता होगा,
गर मैं तुझे न देख सकूँ तो क्या,
ये सूरज चाँद तो हम दोनों को एक साथ देखते होंगे।
इनके माध्यम से भी यदि हम
एक दूसरे को देख न पाएँ
तो कम से कम एक दुसरे को महसूस तो कर सकते हैं।