Wednesday, August 21, 2013

उस की चाहत मुझे रहेगी
जब तक रहेगा  जीवन मेरा,
मुझे इस जहाँ में चैंन कहाँ 
बस तुम ही हो मेरा जहाँ।     

Friday, August 9, 2013

आत्म समर्पण

भयानकता वनों की
सूनापन सेहरा का
बेचैनी समुन्दर की
उदासी मौसमों की
बेनियाज़ी पर्वतों की
क्या नाम दूँ तुझको?
कभी ऊपर उठाती है
कभी नीचे गिराती है
कभी हर रास्ता परिचित
कभी हर राह अनजानी
मेरी मंज़िल अगर तू है
तो ले ऐ ज़िन्दगी
मैं बैठता हूँ
हारकर, थककर।