Monday, February 14, 2011

गज़ल

तन से जब तक साँस का रिश्ता रहेगा,
तेरे अश्कों में मेरा हिस्सा रहेगा I

दिल की धड़कन जितने दिन चलती रहेगी,
उतने दिन तू मुझमें ही बस्ता रहेगा I

शाख़ जब तक तुम ना दोगे बैठने को,
मन-विहग आकाश में उड़ता रहेगा I

अश्रु-जल संभव नहीं इसको बुझा दें,
उम्र भर ये मन यूँही जलता रहेगा I

यह तो सोचा भी नहीं था मैंने 'अनुभव',
धूप ढलने पर भी तन तपता रहेगा I


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