कभी उन से भी मुलाक़ात होगी
यह सोचा न था
ज़बां पर अलफ़ाज़ न होंगे
निगाहों से बात होगी
यह सोचा न था,
हमारा मिलना ख़ुदा की रज़ा होगी
यह सोचा न था,
जो भी हो अब मिले हैं तो आओ
पियें आखरी बूँद तक इस मिलन जाम को
भूल जाएँ कि मिलकर बिछुड़ना भी है
भूल जाएँ कि इस एक क्षण से परे
कोई लम्हा भी है, कोई दुनिया भी है I
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