बर्फ़ की चादर ओढ़े,
पर्वतों की छाँव में,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
शीत लहर चलती है जहाँ,
घटा भी झूमती है जहाँ,
ऊर्जा ही ऊर्जा है जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी,
चलते हैं मीलों-मील,
'जय माता दी' दोहराते हुए,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
मन को शान्ति मिलती है जहाँ,
तन नहीं थकता है जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
हवा भी मधुर लगती है जहाँ,
मन अमृत लगता है जहाँ,
दर्शन पा धन्य हो जाते जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
पर्वतों की छाँव में,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
शीत लहर चलती है जहाँ,
घटा भी झूमती है जहाँ,
ऊर्जा ही ऊर्जा है जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी,
चलते हैं मीलों-मील,
'जय माता दी' दोहराते हुए,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
मन को शान्ति मिलती है जहाँ,
तन नहीं थकता है जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
हवा भी मधुर लगती है जहाँ,
मन अमृत लगता है जहाँ,
दर्शन पा धन्य हो जाते जहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठन्डे गाँव में।
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