Tuesday, March 12, 2013

जय माता दी


बर्फ़ की चादर ओढ़े,
पर्वतों की छाँव में,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठंडे गाँव में।
शीत लहर चलती है जहाँ,
घटा भी झूमती है जहाँ,
ऊर्जा ही ऊर्जा है जहाँ,
रहती है माँ वहीँ,
दूर इक ठंडे गाँव में।
बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी,
चलते हैं मीलो-मील,
'जय माता दी' दोहराते हुए,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठंडे गाँव में।
मन को शान्ति मिलती है जहाँ,
तन नहीं थकता है जहाँ,
प्रेम-ही-प्रेम बरसता है जहाँ,
रहती है माँ वहीँ,
दूर इक ठंडे गाँव में।
हवा भी मधुर लगती है जहाँ,
जल अमृत लगता है जहाँ,
दर्शन पा धन्य हो जाते वहाँ,
रहती है माँ वहाँ,
दूर इक ठंडे गाँव में।     

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